Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: हमारे कर्मों से ही बनता जीवन पत्थर या सोना है (एस के कपूर "श्री हंस", बरेली, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री हंस" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हमारे कर्मों से ही बनता जीवन पत्थर या सोना है”:


मिट्टी का खिलौना   और  चंद
सांसों का मेहमान है।
जाने किस   बात   पर  अहम
चढ़  रहा  परवान  है।।
मालूम है कि   यह       जीवन 
मिलता नहीं बार बार।
क्यों रहता किसी    नफरत में
जाने कितना नादान है।।
 
जीवन सत्य को जानो कड़वा
पर    लाजवाब       है।
हज़ारों मुश्किलें पर ये  जीवन
बहुत  नायाब          है।।
जान लो कि सत्य परेशान  हो
सकता   पराजित   नहीं।
कठोर है अनमोल है नहीं  इस
जीवन का कोई जवाब है।।
 
मिट्टी से बना  तन   एक   दिन
तो   फना    होना     है।
मायने जीवन के ही कुछ पाना
और   कुछ  खोना   है।।
दुःख का दस्तावेज और है यह
सुख   का    संसार भी।
हमारे कर्मों से ही   बन   जाता
यह पत्थर या सोना है।।