पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका
स्वागत है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “नरकलोक में जलती बेटियां”:
नरकलोक में जलती बेटियां,
हवस का शिकार बनती बेटियां
दरिंदगी सहन करती बेटियां।
वहशीपन को भी झेलती बेटियां।
जिस्म का सौदा करने को
हालात से मजबूर दिखती बेटियां,
पिता की लाचारी, मां की बेबसी देख
घुट घुट कर हर रोज मरती बेटियां।
परिवार का पेट भरने के लिए
यौन शोषण का शिकार होती बेटियां,
कॉपी, कलम, पढ़ाई त्यागकर
नोची खसोटी जाती बेटियां।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की गूंज
सुनती कानों से हर रोज बेटियां,
सुकन्या योजना बनाई सरकार ने
पर पाती नहीं कोई अधिकार बेटियां।
आस लगाए आखिर किससे वह
हर ओर मजाक का पात्र बनती बेटियां,
कहे किससे अपने दिल का दर्द
अपने जीवन को अभिशाप समझती बेटियां।
नरकलोक में जलती बेटियां,
हवस का शिकार बनती बेटियां
दरिंदगी सहन करती बेटियां।
वहशीपन को भी झेलती बेटियां।
जिस्म का सौदा करने को
हालात से मजबूर दिखती बेटियां,
पिता की लाचारी, मां की बेबसी देख
घुट घुट कर हर रोज मरती बेटियां।
परिवार का पेट भरने के लिए
यौन शोषण का शिकार होती बेटियां,
कॉपी, कलम, पढ़ाई त्यागकर
नोची खसोटी जाती बेटियां।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की गूंज
सुनती कानों से हर रोज बेटियां,
सुकन्या योजना बनाई सरकार ने
पर पाती नहीं कोई अधिकार बेटियां।
आस लगाए आखिर किससे वह
हर ओर मजाक का पात्र बनती बेटियां,
कहे किससे अपने दिल का दर्द
अपने जीवन को अभिशाप समझती बेटियां।