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कविता: क्यों ऐसे हो तुम (प्रियंका प्रियदर्शिनी, फरीदाबाद, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रियंका प्रियदर्शिनी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “क्यों ऐसे हो तुम”: 

तुम्हारी मुवाफी को कैसे
कबूल करूँ ...
तुम्हारी फ़ितरत यूँ ही रहेगी
कैसे नज़रअंदाज करूँ ....
तुम्हारी तबीयत संजीदा नही
क्यों मैं एतबार करूँ .... 
मिज़ाज भौरों का रखते हो
क्यों तुम्हारा इसरार करूँ ....
लफ्जों की जो एहमियत है
तेरे बस की बात क्या .....
एहसास कराता घुटन का
जिसकी तुझे ख़बर नहीं ....
ज़माने की परवाह दिखाता
शोहरत अपनी बटोरता ....
फिक्र की गुंजाइश नही मेरी
भरोसे पर सवाल करें ....
कितने चेहरे है तेरे
हर एक की पहचान कराता ....
करता अपनी मनमर्जियाँ
फिर यकीन कयों बढ़ाया ...
एहसान बस इतना कर दे तू
भरोसे के ख्वाब ना दे तू