पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार गोपाल पंचोली 'आशु' की एक कविता जिसका शीर्षक है “सागर":
औदार्य, निष्छल स्वभाव,
निष्कपट, सहनशीलता
तथा
परदुःखकातरता को जीवन में
अपनाकर ।
हम रखें व्यवहार में सागर सी गहराई ।
अल्पकाल है जीना ।
बनें सबके हितैषी ।
ना रखें अपना मन मैला ।
सार्थक,
स्पष्ट,
सारगर्भित
तथा बोलें हम सदा शीतल वाणी ।
अपनाएँ जीवन में नैतिक मूल्य ।
बनाएँ उच्चादर्शों की परम्परा ।
लिखें माँ भारती का उज्ज्वल इतिहास ।
अपनी पवित्र लेखनी से ।
बनना है सागर तो छोड़ना है
छिछलापन,
ओछापन,
मूढ़ वृत्ति को ।
आओ !
हम सब मिल संस्कृति
का करें पुनर्जागरण ।
'आशु' फिर से बनाएँ,
अपने वतन को विश्वगुरु ।
मिटाएँ आपसी मतभेद ।
बने सुखद राष्ट्र,
मंगलकारी विश्व,
यही हो संकल्प हमारा ।
संकल्प हमारा ।