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लघुकथा: अवसाद (सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “अवसाद":

"लता की जबसे शादी हुई है तबसे हमारी लता बहुत खोई-खोई सी रहने लगी है ।"

लता की माँ ने लता को उदास देखकर उसके पिताजी से मन की चिंता कह डाली ।

"हाँ! लता की माँ तुम ठीक कह रही हो

इन आठ महीनों में लता का चेहरा कैसा मुरझा गया है । "

लता के पिताजी ने अनुमोदन किया और चिन्तित मन से तभी दूरभाष पर मनोचिकित्सक से मिलने का समय ले लिया ।

मनोचिकित्सक ने बताया कि

दरअसल लता संकोची प्रवृति की है और इसके पति गुस्सैल स्वभाव के हैं । इसी कारण अपने मन की बातें किसी से सांझा नहीं कर पाती है । जिसके कारण घर में होने वाली छोटी मोटी खटपट को भी दिल से लगा लेती है । निरन्तर उसका जेहन इसी दायरे में घूमता रहता है । जीवन की कटु बातें सोचकर ही उसका मन विषादमय रहता है।

अच्छा हुआ कि आप मेरे पास लेकर आ गये वरना यह स्क्रीजोफोबिया नामक बीमारी की चपेट में आ जाती ।

अब चिन्ता की कोई बात नहीं है ।

कुछ दिन की दवा और प्यार भरे माहौल के साथ यह बिल्कुल सामान्य हो जायेगी ।