पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री हंस" की एक कविता जिसका शीर्षक है “हो गयें हैं साठ के पार, पर अभी असली इम्तिहान बाकी है":
सफर जारी पर अभी तो
आने को मुकाम बाकी है।
किया जा चुका बहुत कुछ
पर अभी काम बाकी है।।
साठ के पार हो चुके
तो कोई बात नहीं।
अभी तो नापी है ज़मीं
अभी आसमान बाकी है।।
वह हर इन्सान बाकी है।
पूरे जो कर नहीं पाये
वह हर अरमान बाकी है।।
अभी तो शुरू ही हुई है
जीवन की दूसरी पारी।
जान लो कि जिन्दगी का
असली इम्तिहान बाकी है।।
कुछ लगान बाकी है।
कर नहीं पाये इस्तेमाल वो
साजो सामान बाकी है।।
रुकना नहीं थमना नहीं
तुम्हें इस बीच दौड़ में।
अभी भी जीतने को हर
तीरो कमान बाकी है।।
अनुभव का सम्मान बाकी है।
कुछ नया करने सीखने को
भी जज्बो तूफ़ान बाकी है।।
अब तो वरिष्ठ नागरिक का
दायित्व भी है कंधों पर।
अभी देखने घूमने को भी
पूरा जहान बाकी है।।
अभी वह जुबान बाकी है।
ऊपरवाले ने भी दिये काम
अभी वो फरमान बाकी है।।
मुक्कमल करना हर काम
इसी एक ही जिन्दगी में।
भागते रहे जिंदगी भर अब
जरा चैनो आराम बाकी है।।