पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रमोद साधक की एक आरती जिसका शीर्षक है “धरती मां की आरती”:
धरती मां की आरती
ॐ जय धरती माता मैया जय धरती माता।
तुमरी माटी चन्दन माँ जन मानस गाता । ॐ जय...
तुम पर खेले कूदे चहल पहल रहती।
नर पशु खग सबकी भार सदा सहती। ॐ जय...
चीर कलेजा तेरा कृषक अन्न उपजाए।
महल झोपड़ी बनते माँ तनिक न अकुलाए। ॐ जय...
गर्भ से तेरे पानी माँ सबको मिलता।
सूर्य नमन जब करता पुष्प तभी खिलता। ॐ जय...
वायु वेग से चलती नित धूल धुआं हरसे।
अग्नि ताप तुम सहती बरखा खुब बरसे। ॐ जय...
स्वर्ण रजत की देवी माँ हीरे तुम देती।
नही अपेक्षा करती ना ही कुछ लेती।ॐ जय...
नदियां भू पर खेले वृक्ष सदा है उगते।
मठ मन्दिर है तुम पर शंख जहां बजते। ॐ जय...
जन्म सभी का माता धरती पर होवे।
उसको शरण में लेती जो जीवन खोवे। ॐ जय...
ॠषी मुनी निज मानव तुम पर यज्ञ करें।
धरा भूमि भूं वसुधा माँ कितने नाम परे। ॐ जय...
धरती माँ की आरत जो मन से गावें।
भूमि हीन नहि होता सुख सम्मपति पावें। ॐ जय...
स्वर्ग नरक धरती पर दुनिया माँ बोले।
करूं याचना तेरी माँ साधक मन डोले। ॐ जय...
ॐ जय धरती माता मैया जय धरती माता।
तुमरी माटी चन्दन माँ जन मानस गाता । ॐ जय...