पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीतू पुरोहित की एक कहानी जिसका
शीर्षक है “मेरा क्या कसूर":
“यह कहानी राजस्थान में
प्रचलित एक कुप्रथा पर आधारित है |
राजस्थान के ही एक छोटे
से गाँव में घटित सत्य घटना है जिसे मैने एक कहानी के माध्यम से आपको अवगत करवाने
का प्रयास किया है|
इसमें जिस कुप्रथा को दर्शाया गया है उसे
राजस्थान की स्थानीय भाषा में " आटा-
साटा" कहा जाता है मतलब( विवाह के लिए लडके के बदले लडका और लड़की के बदले
लड़की)
पूरी कहानी 4 पात्रों के इर्दगिर्द है”
रामलाल के 4 बेटे 1 बेटी में से बडे बेटे और बेटी का विवाह कर
दिया गया | दूसरे नंबर के
बेटे के लिए जो रिश्ता आया था वो रामलाल के समान ही सम्पन्न और प्रतिष्ठित परिवार
से था पर समाज में लड़कियों की कमी के कारण उनकी शर्त थी कि संबंध तभी पक्का होगा
यदि आप हमे लड़की के बदले लड़की दे|
रामलाल की बेटी
की बेटी पहले ही ब्याह कर दी गयी |बातों ही बातों में राम लाल को अपनी भांजी याद
आई जो विवाह योग्य थी और बहन की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी | विचार कर रामलाल ने रिश्ता लेकर आए व्यक्ति को 2 दिन का समय दे कर विदा
कर दिया और दूसरे ही दिन अपनी छोटी बहन के खर पहुँच गया|
अपनी आर्थिक
स्थिति को देखकर उसने कहा-"भाई साहब सब ठीक है पर वो एक सम्पन्न परिवार है और
मैं इतना दहेज नहीं दे सकती |
रामलाल बोला--"कमला तू चिन्ता मत कर सुमन
के ब्याह का सारा खर्च मैं उठाऊंगा|
भाई के आश्वासन
पर कमला बेटी के ब्याह के लिए राजी हो गई|
तय समय पर रामलाल
के बेटे दिनेश का ब्याह सीमा के साथ और भांजी सुमन का ब्याह सीमा के भाई राजू साथ
हो गया |
2 साल सब ढीक चलता रहा इसी बीच सुमन को एक बेटी
हुईं और सीमा अभी बीए कर रहीं थी पर कोई संतान नहीं हुई |
सब कुछ ठीक ठाक
चल रहा था | एक दिन दिनेश किसी काम से शहर जा रहा था और
रास्ते में एक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई
1 साल तक दिनेश की मौत के बाद सीमा अपने ससुराल
में ही रही और सारे सामाजिक रीति रिवाजों का निर्वाह किया|इसी बीच दिनेश के एक्सिडेंट बीमा के 4 लाख रुपये भी सीमा को
मिल गए| समय निकलता गया एक दिन सीमा के पिता उसके ससूराल सीमा के
पुनर्विवाह की बात करने आये |
रामलाल---"आइये ब्याई जी सा...
आज कैसे कृपा करी ""
सीमा के पिता---"गले लगकर बोले.... ब्याई जी सा... आपने अपनी तरफ से सीमा को कोई परेशानी नहीं आने दी उसे एक पिता की तरह प्यार दिया पर इसकी माँ की इच्छा है कि...... बीच में ही बात काटते हुए राम लाल जी बोले.... रहने दिजिए ब्याई जी सा.. मैं समझ गया आप क्या कहना चाहते हैं बेटी आपकी है हमारा क्या वश पर यदि आप सीमा का ब्याह वापस करना ही चाहते हैं तो क्यों ना दिनेश के छोटे भाई से कर दिया जाए.... उनकी इस बात का जवाब देने के लिए सीमा के पिता ने सीमा की माँ से बात करने की बात कह कर सीमा को साथ लेकर चले गए |
कुछ दिनों बाद
रामलाल सीमा के घर गए और अपने दिए गए विवाह के प्रसताव का जवाब मांगा पर वापस उसी
घर में विवाह के लिए ना तो सीमा राजी थी और ना ही उसकी माँ |
आखिरकार सीमा के
पिता ने अच्छा परिवार देख कर सीमा का पुनर्विवाह कर दिया|
अपने दिए गए
विवाह प्रस्ताव को ठुकराने और 4 लाख रुपये ले जाने के कारण रामलाल में बदले की
भावना जागी
वो अपनी बहन कमला
(जिसकी बेटी सुमन का विवाह उसने किया...) के घर गया |
कमला---आइये भाईसाहब आज कैसे आना हुआ घर में सब
ठीक तो है ना.....
रामलाल-----क्या ठीक है कमला तुझे तो पता ही है.. हाँ भाई साहब अब क्या कर सकते है जब अपना बेटा ही नहीं रहा तो पराई बेटी से क्या आस करे...
रामलाल.... क्या क्या करे सुमन चाहे तो अपने मरे हुए भाई की आत्मा को शांति दे सकती है....
कमला..... सुमन,? पर वो बेचारी क्या कर सकती है
रामलाल..... वो चाहे तो अपने ससुराल वालों पर केस लगा दे तो उनको पता चल जाएगा |
रामलाल की ये
बातें सुमन के ससुराल में जब सूनी तो उसके ससुराल वाले उससे लडाई झगड़ा करने लगे
और उसके पीहर वालों से मनमुटाव हो गया|रोज रोज के झगड़ों से तंग
आ कर सुमन पीहर आगयी |
एक दिन रामलाल
बहन के घर आया और सुमन को अपने ससुराल वालों पर केस करने के लिए समझाने लगा
सुमन बोली.....
मामा जी भैया का एक्सिडेंट हुआ इसमें मेरा और मेरे ससुराल वालों का क्या कसूर, सीमा भाभी ने वापस कही दूसरी जगह शादी कर ली तो इसमें मेरा क्या कसूर|हम दोनों पति पत्नी में कोई झगड़ा नहीं ना ही मेरे ससुराल वालों से मुझे कोई
परेशानी है तो मैं क्यों उन पर केस करू
पर रामलाल नहीं
माना और थाने में सुमन को प्रताड़ित करने की रिपोर्ट उसके ससुराल वालों के खिलाफ
करवा दी
सुमन अपना बसा
बसाया घर नहीं बिगाडना चाहती थी इसलिए समय का इंतजार करती हुई 1 साल से मायके में रह रही थी
पूरी कहानी 4 पात्रों के इर्दगिर्द है”
***मेरा क्या कसूर**
सीमा के पिता---"गले लगकर बोले.... ब्याई जी सा... आपने अपनी तरफ से सीमा को कोई परेशानी नहीं आने दी उसे एक पिता की तरह प्यार दिया पर इसकी माँ की इच्छा है कि...... बीच में ही बात काटते हुए राम लाल जी बोले.... रहने दिजिए ब्याई जी सा.. मैं समझ गया आप क्या कहना चाहते हैं बेटी आपकी है हमारा क्या वश पर यदि आप सीमा का ब्याह वापस करना ही चाहते हैं तो क्यों ना दिनेश के छोटे भाई से कर दिया जाए.... उनकी इस बात का जवाब देने के लिए सीमा के पिता ने सीमा की माँ से बात करने की बात कह कर सीमा को साथ लेकर चले गए |
रामलाल-----क्या ठीक है कमला तुझे तो पता ही है.. हाँ भाई साहब अब क्या कर सकते है जब अपना बेटा ही नहीं रहा तो पराई बेटी से क्या आस करे...
रामलाल.... क्या क्या करे सुमन चाहे तो अपने मरे हुए भाई की आत्मा को शांति दे सकती है....
कमला..... सुमन,? पर वो बेचारी क्या कर सकती है
रामलाल..... वो चाहे तो अपने ससुराल वालों पर केस लगा दे तो उनको पता चल जाएगा |