Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: नारी शक्ति (कल्पना गुप्ता "रतन", जम्मू एंड कश्मीर)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नारी शक्ति":

नारी की शक्ति

पुरूष का पौरुष

मनु और स्मृति

बन किया दोनो ने

सृष्टि का संरचन।

 

नारी शक्ति कुछ प्रश्न उठाते हुए।।।।।

 

संगीत के सुरों की रागणी हूं

अपने पिया की अर्धांगिनी हूं

पृथ्वी बन जो उठाती है बोझ

वह शक्ति हूं

फिर भी क्यों सबकी

आंखों में खटकती हूं ?

 

क्यों समझते सब निर्बल मुझे

जिंदगी के हर दौर में संवारा तुझे

फिर क्यों समझा जाता

अबला मुझे ?

 

रीति रिवाज, संस्कार हूं

बढ़ाए जो शान, वो दीवार हूं

तोड़ ना पाएं जिसे, वो मीनार हूं

तेरी कविता का, मैं सार हूं।

 

इच्छा नहीं मैं बनु धनवान

डाला सिंदूर तेरे नाम का

करूंगी ता  उम्र तेरा सम्मान

पर एक बात समझ मेरी

सह ना पाऊंगी मैं अपमान।