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कविता: तजूर्बा (पूजा राय, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार पूजा राय की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तजूर्बा":

तजूर्बे बहुत कुछ सिखा जाते हैं ,

जो स्कूल कॉलेज से नहीं हम सिख पाते हैं।

यहि तो दुनियादारी समझाते हैं,

जो मोटी मोटी किताबे भी नहीं समझा पाते हैं।

तजूर्बे में छुपे बीते कल के बहुत से याद हैं,

तजूर्बे पर  आधारित आने वाला कल और आज हैं।

सब कुछ तो हम पढ़लिख कर नहीं सिख पाते है,

तजूर्बे ज़िन्दगी का  असली  मतलब  समझाते हैं।

तजूर्बे बहुत कुछ सिखा जाते हैं ,

जो स्कूल कॉलेज से नहीं हम सिख पाते हैं।।