पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सरिता श्रीवास्तव की एक कविता जिसका शीर्षक है “हल्ला बोला "जनक्रांति":
खामोशी की दौर हमें जीने नहीं देती,
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचाना ही होगा।।
चुप रह कर देख लिया हमने सबको,
अब बुलंद आवाज़ उठाना ही होगा।।
घिस गए पाँव थक गई आँखें पर उम्मीद ना दिखा,
अब वक़्त है रफ़्तार को और तेज बढ़ना ही होगा।।
बुझ गए जो लौ अंधेरों तले,
अब हर एक में ये मशाल जलाना होगा।।
ताकत नही है भले पास तुम्हारे ,
अपनी कलम को अब शस्त्र बनाना ही होगा।।
उठे जो कोई उंगली तुम पर कभी,
बन फौलाद वो हाथों को गिराना ही होगा।।
डाले बुरी नजर जो तुम पर कोई,
ज्वाला भरी वो आँखें अब बरसानी ही होगी।।
लगाए दामन पर कोई आँच तो,
अपने सम्मान के लिए ये जंग जितना ही होगा।।
उठो जागो ये वक़्त नहीं है खामोश होने का,
जीना है यहाँ तो अपनी आवाज हर एक तक पहुँचना ही होगा।।