पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी" की एक कविता जिसका शीर्षक है “मिनख जात":
भुखै नै तूं रोटी खिला
प्यासे नै तूं पाणी पिला
इयै सूं बडो कोई धरम नीं
सुणलै रै तूं मिनख जात ।
मिन्दर में तूं जा घंटी बजा
मसीत में जा तूं नमाज पढ़
च्यारुं धाम अर हज कर आ
मन चंगा नीं,बिरथा मिनख जात ।
काम-क्रोध नै तजदै रै बीरा
दीन- हीन रो कर तूं उपकार
इयै सूं बडो नी धरम कोई
सफल हुवैली थारी मिनख जात ।
मत गवां द्वेस-द्वंद में तूं जीवन
मिनख नै मिनख समझलै तूं
झूठी स्यान में ना बिता जवानी
सदकरमां सूं आछी लागै मिनख जात ।
दाता तनैं धन-मन घणो दियो तो
मसीहा बण तूं हरलै पर -पीड़ा
नर नारायण बण दरिद्रां री सेवा कर
दिल नां दुखाई सुणलै मिनख जात ।
'नाचीज' तूं भी कान लगा सुणलै
थारै कारणै मिनख - जीवां नै
कदैई कींनै भी दुख-पीड़ा नी हुवै
आ' गिण गांठ बांध तूं मिनख जात ।