पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुखविंद्र सिंह मनसीरत की एक कविता जिसका शीर्षक है “शिक्षक मेरा अभिमान ":
गुरु बिना गति नहीं कह गए लोग विद्वान
शिक्षक सम्मान कीजिए,जग में ऊँची शान
अज्ञानी को तराश कर बना देता है विद्वान
झोली भर के लीजिए ज्ञान मिले बिन दाम
जहां गुरु विराजमान हो वहांँ राहें आसान
शिक्षार्थी का सर्वांगीण करे विकास अपार
अर्पित शिक्षक को करें श्रद्धापुष्प पुरस्कार
निस्वार्थ भाव ज्ञानार्जन से राहें हों आसान
समस्त शिक्षक वर्ग को शत शत है सलाम
स्वर्णिम जीवन हेतु वंदन अभिनंदन साभार