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लघुकथा: अखबार (डॉ. राजमती पोखरना सुराना, भीलवाड़ा, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ. राजमती पोखरना सुराना की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “अखबार":
 
 
आज राज का परीक्षा परिणाम घोषित होने वाला था ।राज के  माँ  बाबा बडी बेसब्री से इंतजार इंतजार कर रहे थे ।
  " अरे राज देखो तो बाहर जाकर अखबार आया की नही "......."जी बाबा देखती हूँ ।"
   राज बाहर गई , बाहर फ़र्श पर अखबार पडा था, उसने कांपते हुए हाथों से अखबार उठाया और अपने बाबा को दे दिया ।
  " तुम्हारे क्रमांक तो दो मै परीक्षा परिणाम देखता हूँ " ।राज के बाबा राज से बोलो।
    राज ने क्रमांक पत्र बाबा को दिया और ईश्वर की प्रतिमा के सामने जाकर अरदास करने लगी हे भगवान मुझे पास कर देना नहीं तो बाबा माँ का दिल टूट जायेगा ।
    बाबा राज के रोल नंबर तृतीय श्रेणी से देखना शुरू किया , वहां पर नंबर नही थे फिर द्वितीय मे , वहां भी रोल नंबर नही देख उनका दिल घबराने लगा।
   प्रथम श्रेणी मे क्रमांक देख ही रहे थे कि उनकी नजर अखबार में आई मैरिट लिस्ट पर पडी ।
   खुशी से राज के बाबा चिल्ला पड़े,'अरे भागवान सुनती हो हमारी राज पूरे जिले में प्रथम स्थान पर रही है ।देखो  अखबार में उसका नाम आया है ।"
  राज के बाबा की आवाज सुन राज और राज की माँ दौड़ कर आई और अखबार में छपी खबर को अचम्भित हो देखने लगी ।
  खुशी के मारे सभी के ऑखों में ऑंसू भर आये ।माँ बाबा ने राज को गले लगा लिया ।......." बेटी तुम ने तो हमारा नाम रोशन कर दिया.....।।