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कविता: प्रेम होता नहीं प्रेम हो जाता है (प्रिया पांडेय, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रिया पांडेय  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “प्रेम होता नहीं प्रेम हो जाता है”:

ना ही तुमने कहा ना ही हमने कहा
प्रेम था मौन सबकुछ समझने लगा।।
ना ही तुमने किया ना ही हमने किया
वो प्रेम का बीज खुद ही पनपने लगा।।
ना ही तुमसे खिला ना ही हमसे खिला 
प्रेम का पुष्प  था खुद ही खिलने लगा।।
ना ही तुमसे जला ना ही हमसे जला
वो प्रेम का दीप खुद ही था जलने लगा।।
ना ही तुमने पिया ना ही हमने पिया
वो इश्क़ का था नशा खुद ही चढ़ने लगा।।
ना तुम्हारी खता ना हमारी खता
वो प्रेम का था खता जो हमसे होने लगा।।
ना ही तुमको हुआ ना ही हमको हुआ
प्रेम का रोग था जो हमको होने लगा।।
ना ही तुमने सुना ना ही हमने सुना
प्रेम ही मौन से जा मौन कहने लगा।।
ना ही तुमने छुआ ना ही हमने छुआ
वो प्रेम स्पर्श था जो आके दिल को लगा।। 
ना तेरे हाथ था ना मेरे हाथ था
प्रेम का था पतंग खुद ही उड़ने लगा।।
ना तुम गुनाहगार थे ना हम गुनाहगार थे
वो इश्क़ का है गुनाह जो हमसे होने लगा।।
ना तेरा दोष था ना मेरा दोष था
वो प्रेम का दोष था जो हमसे होने लगा।।