Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: मां (अभिषेक शर्मा, पटियाला, पंजाब)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अभिषेक शर्मा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मां”:


बचपन से अब तक देखता आ रहा हूं मां तु कितना काम करती है,

सुबह से रात, रात से सुबह पुरा दिन काम करती है,

तु कभी थकती नहीं है क्या मां,

मैंने कभी तेरे मुंह से कोई शिकायत नहीं सुनी है,

एक पल में यहां तो दुसरे ही पल कहीं ओर होती है,

हम सब का इतना ध्यान तु कैसे रख लेती है मां,

तु कभी थकती नहीं है क्या मां,

तुझे कितना भी दुःख हो तेरे चेहरे से कभी दिखता ही नहीं है,

तुझे कितनी भी परेशानी हो तुने कभी किसी को बताया ही नहीं है,

काम के बदले तु कुछ मांगती भी नहीं है,

तु कितनी अच्छी है मां पर तु कभी थकती नहीं है क्या मां।