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कविता: पलक (रोजिना छेत्री, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रोजिना छेत्री की एक कविता  जिसका शीर्षक है “पलक”:

पलके झपके तो इशारा  है
पलके उठाएं तो नजारा है
पलके आंखो को थामे रखे
पलके आंसू को बहाए
पलके खुले तो बूंदों का गिरना दुबारा है
झूट पलको में ठहर न पाए
सच को कभी छिपा ना पाए
पलके बंद हो तो कदम ठहर जाए
पलके खोलो तो दुनिया जीत जाए
पलके झपके तो अंधकार है
पलके उठाएं तो पूरा संसार है...
स्वांग रचती है
ताल से ताल मिलाती है
पुतली को नचाती है
 
आंखो को सजाती है
इसके बिना क्या गुजारा
पलके झपके तो इशारा है
पलके उठाएं तो नज़ारा है...