पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुखदेव सिंह राठिया की एक कविता जिसका शीर्षक है “तस्वीर”:
बंद नैनों में
तस्वीर तेरी,
बनकर ख़्वाब, तसब्बुर मेरी।
आज दिल तुझ पर मैंने हारा,
जाने कब से था तेरा बसेरा।।
प्रेम, चाहत की तू है परिभाषा,
बनकर साया तू है
एक आशा।
हर लम्हा तेरे याद में है गुजारा,
मैंने मन ही मन तुझको पुकारा।।
ज़हने दिल में बस
तू है समाई,
बनकर प्रीत वफ़ा
की खुदाई।
मेरे दुख - दर्द का एक तू ही सहारा,
देखकर तुझको नित होता सबेरा।।