पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डिंपल राठौड़
"उर्मिल" की
एक कविता जिसका शीर्षक है “मायूस लड़की”:
टूट पड़ता है मेरे भीतर एक पहाड़
जब देखती हूँ एक मुस्कराती मायूस लड़की
सहमी-सी मेरे पास से निकलती है
मुझे ये मायूसी खलने लगती है
मैं प्यार से पूछती हूँ उसे
क्या दुःख है तुम्हें..??
वो हँसी उसकी, चीख में बदल जाती है
जैसे वो खोलती है परत दर परत अपने जख्मों को
अपनो की भी छवि शर्मसार नजर आती है..
लोग मेरे चरित्र पर ही सवाल उठाएंगे..!!
जो उम्रभर के घावों पर भीतरी मरहम लगा रही है..!!
छुपा लेना चाहती हूँ उसे अपनी पनाह में
काश..!!
कि किसी दरिंदे की नजर इस तक न जा पाए..!!