Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: मायूस लड़की (डिंपल राठौड़ "उर्मिल", चूरू, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डिंपल राठौड़ "उर्मिल" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मायूस लड़की”:

टूट पड़ता है मेरे भीतर एक पहाड़
जब देखती हूँ एक मुस्कराती मायूस लड़की
सहमी-सी मेरे पास से निकलती है
मुझे ये मायूसी खलने लगती है
मैं प्यार से पूछती हूँ उसे
क्या दुःख है तुम्हें..??
 
फूट जाती है वो ज्वालामुखी-सी
वो हँसी उसकी, चीख में बदल जाती है
जैसे वो खोलती है परत दर परत अपने जख्मों को
अपनो की भी छवि शर्मसार नजर आती है..
 
वो जब कहती है-दीदी आप किसी को बताना नहीं"
लोग मेरे चरित्र पर ही सवाल उठाएंगे..!!
 
और सिमट जाती है उसी मुस्कराती लड़की में..
जो उम्रभर के घावों पर भीतरी मरहम लगा रही है..!!
 
दंग रह जाती हूँ मैं इस भयभीत दृश्य से
छुपा लेना चाहती हूँ उसे अपनी पनाह में
 
कुछ नहीं बस भीतरी आवाज़ आती है
काश..!!
 
कि मैं बना दूँ कोई सुरक्षा कवच
कि किसी दरिंदे की नजर इस तक न जा पाए..!!