पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉक्टर दीपिका राव की एक कविता जिसका
शीर्षक है “वह गुमसुम लड़की”:
गुमसुम सहमी सी वह लड़की
कई रेखाएं उदासी की चेहरे पर।
ना कोई चमक,ना है उल्लास जीवन में ,
कोई नहीं पढ़ पाया उसके दर्द को ,
किसे कहें अपने मन के मर्म को वह ,
फब्तियां कसता अश्लील उस पर कोई,
सरेआम हाथ पकड़ लेता वह उसका
जैसे नहीं है उसकी कोई भी मर्यादा ।
होती रहती है वह शर्मसार हमेशा ,
तकलीफ देता उसे ,जख्मों को हरा कर देता
फिर भी टूट कर कभी न बिखरी वह ।
सीखा है जाने कहां से उसने यह ,
वह तो है जग का अनमोल हीरा,
बनी खड़ी है वह जैसे चट्टान का पत्थर,