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कविता: सफलता (अमृता कुमारी, आसनसोल, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अमृता कुमारी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सफलता”:
 
सच है की सफलता के माँ - बाप, भाई - बहन सब होते है
होते है बेशकीमती पहरे भी,
गिनती भी उनकी होती है ओहदेदारो में।
 
वो उंगलियों पर है,
जिन्होंने कभी असफलता का स्वाद चखे बिना ही
रच दी दास्तान - ए - फतह
और  उनकी कहानियां अलग बनी
जिसने अपने जोर से पर्वतों को काट कर नदियां बहा दी।
 
असफलता गर्त बनाती है डूबने का,
दिशा भूला देती है कदमों की,
दुःख का भान कराके मन में
जगा देती है संशय ।
फिर हौसले टूटने लगते हैं
हथियार छूटने लगते हैं
रण में शत्रु भारी लगने लगता है।
 
यदि हो सच्चे विजयी तो कर्म करो,
सफल होकर पूरा मानवता का धर्म करो
सफलता उसकी टिकती नहीं है जो बन जाए अभिमानी ,
कर्मठ मानव का गुण है
हाथों में सफलता और आंखों में स्नेह का पानी।