पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार काजल गुप्ता की एक कविता जिसका
शीर्षक है “'कविता' क्या हैं?”:
कविता ...
न शुक्ल की परिभाषा
न वर्ड्सवर्थ के विचार मात्र हैं
अगर तुम मुझसे पूछो
तो मै बताऊ ...
कविता क्या हैं ?
कविता ....
रईसों का मनोरंजन तो
दीनो की दशा हैं
गरीबों की संताप तो
निरीह जनता की जलती मशाल हैं
वियोगीयो का विलाप तो
प्रेमियों की मधुर राग हैं
अगर तुम मुझसे
पूछो तो
मैं बताऊं ‘कविता’ क्या है ?
कविता .....
कवि के उलझे भावो का
सुलझा शब्द रूप है ...
और कविता हैं क्या ..
शांत मन का शोर तो
चुप्पी की चीख है ।
तुम समझ सको तो
मैं स्मझाआऊ
‘कविता’ क्या हैं?
कविता और कुछ नहीं
कवि के आह ! का
तुम्हारा वाह ! !
शब्द रूप है।
न शुक्ल की परिभाषा
न वर्ड्सवर्थ के विचार मात्र हैं
अगर तुम मुझसे पूछो
तो मै बताऊ ...
कविता क्या हैं ?
रईसों का मनोरंजन तो
दीनो की दशा हैं
गरीबों की संताप तो
निरीह जनता की जलती मशाल हैं
वियोगीयो का विलाप तो
प्रेमियों की मधुर राग हैं
मैं बताऊं ‘कविता’ क्या है ?
कवि के उलझे भावो का
सुलझा शब्द रूप है ...
और कविता हैं क्या ..
शांत मन का शोर तो
चुप्पी की चीख है ।
तुम समझ सको तो
मैं स्मझाआऊ
‘कविता’ क्या हैं?
कवि के आह ! का
तुम्हारा वाह ! !
शब्द रूप है।