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करवाचौथ स्पैशल कविता (प्रेम बजाज, जगाधरी, यमुनानगर, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रेम बजाज की एक करवाचौथ स्पैशल कविता:

 
सुनो मेरे प्रियतम प्यारे , प्यार का ऐसा तोहफा ला दो ,
माथे अपने का तिलक लगा कर चाँद सी इक बिँदिया सजा दो,
सिँदूर के लाल रँग से मेरी पिया तुम माँग भरा दो ।
हीरा, मोती, सोना, चाँदी, कुछ नही चाहिए मुझको साथी ।
काँच की मुझ को चुडी़ ला दो, लज्जा के गहने बना कर, बाँहो की इक कँठी पहना दो ।
नैनो का काजल बने तेरे सपने, होठों की लाली मुस्कराहट को बना दो ।
अरमानो की साडी़ ला दो, स्वाभिमान की चुनर औढा़ दो , प्यार का उसपे गोटा लगा दो ।
प्रेम-बँधन की पायल मै बाँधु, इँद्रधनुष के बिछुए पहना दो ।
इज़्ज़त  की इक कार ला दो, उसमे बैठा के सैर करा दो ।
खुशियो के तुम तोहफे ला दो, गिनती उनकी करना ना तुम, बस उनके तुम ढेर लगा दो ।
सात फेरो का वचन निभा दो, अर्धाँगिनी का तुम दर्जा दे दो ।
साथ चलने का हक भी दे दो, कभी ना छोड़ कर जाने का इक वादा दे दो ।
स्वाभिमान से जीना दे दो, अपने घर की इज्ज़त बना दो ।
देखे ना कोई बुरी नज़र से, अपनी नज़र की ढाल बना दो ।
ऐसा मोहे  सज दे साँवरिया, लग जाए मोहे तोरी नज़रिया ।
साए के जैसे संग रहुंगी , बन कर दीप तेरी राह में जलुंगी , दुःख- सुख
में सदा मैं संग रहुंगी , प्यार की ठंडी छांव करूंगी ।
लांघ कर आई तेरी चौखट , इस चौखट पर ही प्राण तजुंगी ।