पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार विनीता सिंह चौहान की एक कविता जिसका
शीर्षक है “संवेदना”:
जब विचारांकुर होते हैं प्रस्फुटित,
और जागृत होती है अंतर्चेतना।
जब बर्दाश्त से बाहर होती है स्थिति,
प्रताड़ना इंसान को कर देती है पत्थर,
तब शायद बन जाती है कविता....
इंसानी स्वार्थ की खातिर,
आशियाने उजड़ गए,
कलुष व तमस की नदी में,
और स्वार्थ सर्वोपरि हो गया
इंसान इंसान से डरने लगे।
झूठ, फरेब, अहम की महामारी से,
ऊंच - नीच का भेद मिटाकर,
प्रकाश पुंज आलोकित रहे सदा,
सूख गई जो धार बस रेत बनेगी,
एक दूजे की मन की जमीं में,