पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार क्षमता कुमारी गुप्ता की एक कविता जिसका
शीर्षक है “क्या हुआ”:
'क्या हुआ ? जो बिखर गई मानवता , निखर गई है दनावता ?
क्या हुआ ? जो अपना- अपने से
रूठ गया,
घर घर में परिवार
टूट गया,
मां के आंखों का
काजल धूल गया,
पिता के वर्षों
का सपना टूट गया,
क्या हुआ ? जो अपने हो गए है अनजान ,
क्यों जीत रहा है
गुमान ,
दर्द दिखता नहीं
किसी का ,
प्यार मिलता नहीं
किसी को ,
क्या हुआ ? जो घर बनता जा रहा है शमशान ,
मर रहा है प्यार , इंसानियत , और सम्मान,
क्या हुआ?
क्या हुआ ? जो इंसान को नहीं इंसान प्यारा,
नहीं बनते एक
दूजे का सहारा,
क्यों देख के
लाचार होने लगता है अत्याचार ,
क्या हुआ ? जो बिक रहा है
प्यार,
बेईमानी का हो
रहा है व्यापार ,
बिक रही है
डिग्री, बिक रही है सरकार,
क्या हुआ ? जो नहीं चलती सच की सत्ता ,
झूठ का है बोल
पसार ,
थक राहा है
ईमानदार ,
तेज है चापलूसों
का पतवार,
क्या हुआ ?
क्या हुआ ? जो गरीब की मिट रही है शान,
पैसों का बढ़ रहा
है मान,
हो रही है दुनिया
आगे, पीछे छोड़ कर सम्मान ,
निखर गए है चेहरे
, बिखर गया है मन,
क्यों दर्द से
भरे लोग खुद के दर्द से है अनजान ,
क्या हुआ ?
क्या हुआ ? जो बिखर गई मानवता ,
निखर गई है
दानवता ?