पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार शंभू राय की एक कविता जिसका
शीर्षक है “जिंदगी एक संघर्ष”:
जिंदगी आसान नहीं
यहाँ
यह रोज आपकी परिक्षाएं नई लेगी
संघर्षों से भरा पडा़ है यह जीवन
क्यों घबराते हो हे आर्यपुत्रों
क्षण भर के हवा के झोकों से ।
याद करो तुम उस
मिट्टी के लाल हो
जहां राम-कृष्ण का अविर्भाव हुआ है
आर्यभट ,विवेकानंद और कलाम भी
इसी मिट्टी में जन्मे
जिन्होने सारे विश्व को अपने नीति-ज्ञान से आलोकित किया
जीवन के संघर्षों से सामना करना सिखाया ।
संतान है हम भी
उनके ही
संघर्षों से हार मानना सिखाया नहीं
कभी उन्होनें हमें
इसलिए
जीवन के संघर्षों से कभी हार मानना नहीं
क्योंकि सूर्य भी बिना थके
नित तपता है
सदा जग को आलोकित करता है ।
जिंदगी का जंग
अवश्य वह जीतेगा
कर्मवीर की भाँति नित परिश्रम जो करता है ।
यह रोज आपकी परिक्षाएं नई लेगी
संघर्षों से भरा पडा़ है यह जीवन
क्यों घबराते हो हे आर्यपुत्रों
क्षण भर के हवा के झोकों से ।
जहां राम-कृष्ण का अविर्भाव हुआ है
आर्यभट ,विवेकानंद और कलाम भी
इसी मिट्टी में जन्मे
जिन्होने सारे विश्व को अपने नीति-ज्ञान से आलोकित किया
जीवन के संघर्षों से सामना करना सिखाया ।
संघर्षों से हार मानना सिखाया नहीं
कभी उन्होनें हमें
इसलिए
जीवन के संघर्षों से कभी हार मानना नहीं
क्योंकि सूर्य भी बिना थके
नित तपता है
सदा जग को आलोकित करता है ।
कर्मवीर की भाँति नित परिश्रम जो करता है ।