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कविता: प्रिय (सीमा मिश्रा, सागर, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा मिश्रा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “प्रिय”:

प्रिय जीवन मिलता एक बार

कहो मैं  तुम तक कैसे आ  पाऊं !

 

गहन वेदना  अब  मचल  उठी

विरह बहुत पीड़ादायक

कैसे रज धूलि  तेरी माथ लगा पाऊं !

 

अपने  मन का  संदेश  प्रिय

तेरी  रूह तक  कैसे पहुंचा पाऊं ?

 

अब और परीक्षा मेरी मत लेना

सांसे टूटे ,उससे पहले

कर जतन कि तुझ में घुल जाऊं!

 

यह मन का बंधन है पावन

प्रत्यक्ष आओ तो कुछ समझा पाऊं !

 

प्रीत लगाकर बनी पुजारिन

तेरी  चौखट जो न पाई  मैंने

मोहना ,कई जन्मों तक मैं पछताऊं  !

 

मैं पलकें बिछाये निहारुं राह  तेरी

तेरे दरश बिना ये तन छोड़ न पाऊं !