पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा मिश्रा की एक कविता जिसका शीर्षक है “प्रिय”:
प्रिय जीवन मिलता
एक बार
कहो मैं तुम तक कैसे आ
पाऊं !
गहन वेदना अब मचल उठी
विरह बहुत
पीड़ादायक
कैसे रज
धूलि तेरी माथ लगा पाऊं !
अपने मन का
संदेश प्रिय
तेरी रूह तक
कैसे पहुंचा पाऊं ?
अब और परीक्षा
मेरी मत लेना
सांसे टूटे ,उससे पहले
कर जतन कि तुझ
में घुल जाऊं!
यह मन का बंधन है
पावन
प्रत्यक्ष आओ तो
कुछ समझा पाऊं !
प्रीत लगाकर बनी
पुजारिन
तेरी चौखट जो न पाई
मैंने
मोहना ,कई जन्मों तक मैं पछताऊं
!
मैं पलकें बिछाये
निहारुं राह तेरी
तेरे दरश बिना ये
तन छोड़ न पाऊं !