पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
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आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ऋतु गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “शरद ऋतु”:
शीतल शीतल चांद शरद का तन मन शीतल कर गया।
चहुंओर नभ धरा सागर पर देखो अमृत बरस गया।
अमृत देकर हर जीव को दूर मलिनता कर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
प्रेम का रसपान करा कर अग्रिम पर्वो की दस्तक दे गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
उल्लासित हुआ हृदय सभी का नई उमंग से भर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ...
दूर कर निराशा सारी नव आशा का संचार कर गया।
शीतल शीतल चांद शरद का ....