पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलम सिंह की एक कविता जिसका
शीर्षक है “चाहत दिल की”:
खुद के लिए किसी की आंखों में
बेइंतहां इंतज़ार देखना चाहती हूं
मोहब्बत न सही मोहब्बत जैसा ही
बेझिझक इज़हार देखना चाहती हूं
जानती हूं बावली हूं मैं थोड़ी सी
नामुमकिन को मुमकिन होते
बस इक बार देखना चाहती हूं
हां उनके रुबरु बस खुद को ही
ढूंढ़ना मैं हर बार चाहती हूं
इश्क़ न सही इश्क़ जैसा महसूस हो
बस वही खुशनुमा सा साथ चाहती हूं
हां खुद के लिए किसी की आंखों में
बेइंतहां इंतज़ार देखना चाहती हूं
खुद के लिए किसी की आंखों में
बेइंतहां इंतज़ार देखना चाहती हूं
मोहब्बत न सही मोहब्बत जैसा ही
बेझिझक इज़हार देखना चाहती हूं
जानती हूं बावली हूं मैं थोड़ी सी
नामुमकिन को मुमकिन होते
बस इक बार देखना चाहती हूं
हां उनके रुबरु बस खुद को ही
ढूंढ़ना मैं हर बार चाहती हूं
इश्क़ न सही इश्क़ जैसा महसूस हो
बस वही खुशनुमा सा साथ चाहती हूं
हां खुद के लिए किसी की आंखों में
बेइंतहां इंतज़ार देखना चाहती हूं