पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार रश्मि मिश्रा "रश्मि" की एक कविता जिसका
शीर्षक है “सुन मेरी चिरैया”:
सुन मेरी चिरैया
तेरी उड़ान जमाने को
खल रही है !
हरेक दिल में नफरत सी
पल रही है !!
तू न रोकना अपनी उड़ान को
तोड़ सारी श्रंखलाए,
नाप ले तू आसमान
को !!!
सुन मेरी
चिरैया..
अब हवा में जहर फैला है !
हरेक दिल बहुत मैला है !
स्वर्ण घट में जहर भर कर
घूमते हैं व्याध सारे !!
इनके अधरों पर कुटिल
मुस्कान है जो,
तू समझ इनके
इशारे !!!
सुन मेरी चिरैया
तू कोई उम्मीद न करना
कि कोई साथ देगा !
तेरी संकट की घड़ी में
कोई अपना हाथ देगा!!
अपने परों में तुझे खुद ही
जान भरनी है !!
तोड़ कर उम्मीद सारी
अपने ही दम पर उड़ान
भरनी है !!!!
सुन मेरी चिरैया
तेरी उड़ान जमाने को
खल रही है !
हरेक दिल में नफरत सी
पल रही है !!
तू न रोकना अपनी उड़ान को
तोड़ सारी श्रंखलाए,
अब हवा में जहर फैला है !
हरेक दिल बहुत मैला है !
स्वर्ण घट में जहर भर कर
घूमते हैं व्याध सारे !!
इनके अधरों पर कुटिल
मुस्कान है जो,
तू कोई उम्मीद न करना
कि कोई साथ देगा !
तेरी संकट की घड़ी में
कोई अपना हाथ देगा!!
अपने परों में तुझे खुद ही
जान भरनी है !!
तोड़ कर उम्मीद सारी
अपने ही दम पर उड़ान
भरनी है !!!!