पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “गुंजन शर्मा” की एक कविता जिसका शीर्षक है “बस इतनी सी मेरी अरमा है”:
बस मुझे जीना है जिंदगी,
चाहे वो वन हो या हो वो फूल।
तेरे हर एक डगर पर मुझे चलना है,
बस इतनी सी मेरी अरमा है।
फिर भी उस मंजिल पर चलना है।
तेरे हर डगर पर चलू बस
इतनी सी मेरी अरमा है।
जाऊं मैं गुम, बस इतनी सी मेरी अरमा है।
तेरी इन हसीन वादियों में मुझे जीना है
तेरे हर एक पल को अपने यादों में सजोना है।
जी लू जिंदगी तुझे मै बस इतनी सी मेरी अरमा है।
बस मुझे जीना है जिंदगी,