पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “आकृति” की एक कविता जिसका शीर्षक है “फिर भी मुस्कुराती नारी”:
फिर भी मुस्कुराती नारी
झेलती दैनिक मुश्किलें सारी,
ख़ुश है वह अपने काम से,
न मतलब उसे दुनिया और नाम से,
सभी कष्टों को पीने वाली,
भरण पोषण करने वाली,
गृहकाम कर थक जाती ग़र,
है दौलत मुस्कान उसकी,
यही एक अरमान उसके,
फिर भी मुस्कुराती नारी,
फिर भी मुस्कुराती नारी।