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कविता: हिंदी से ही हिंदुस्तान है.... (नूतन गर्ग, दिल्ली)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नूतन गर्ग की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी से ही हिंदुस्तान है....:

  
बात यह अब समझ जाइए,
निज भाषा को अपनाइए,
भाषा में ही हल निकालिए,
भाषा में ही पल जाइए।
 
युक्तिसंगत है ज्ञान इसका,
है जरूरी ज्ञान इसका,
चाहते हो साथ अगर अपनों का,
तो मात्र भाषा का आचरण अपनाइए।
 
लुप्त न हो जाए कहीं,
हिंदी से क्या चकराइए,
वतन की वाणी है यह,
काहे को शरमाइए।
 
साथ अगर हमारे हिंदी नहीं,
तो पहचान कैसे बनाओगे,
बेवतन की भाषा में पलकर,
यूं पिसकर ही रह जाओगे।
 
जय हिंदी जय भारत.....

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