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कविता: हिन्दी से हिन्दुस्तान है (अतुल पाठक "धैर्य", जनपद हाथरस, उत्तर प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अतुल पाठक "धैर्य" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिन्दी से हिन्दुस्तान है:

संस्कृत से संस्कृति हमारी,

हिन्दी से हिन्दुस्तान है।

 

संस्कृत से बहती संस्कृति की धारा,

हिन्दी में रमाया हिन्दुस्तान सारा।

 

कुमार बेचैन और कुमार विश्वास जैसे कवियों ने हिन्दी अपनाकर मान बढ़ाया,

हिन्दी का महत्व जन-जन को उनने लिखकर और गाकर समझाया।

 

यही कारण है कि इनकी विश्व में इक अलग पहचान है,

हिन्दी हैं हम हिन्दी से ही वतन हिन्दुस्तान है।

 

पढ़-पढ़ कर जिनको बड़े हुए हम,

वो तुलसी कबीर संत महान हैं।

 

हिन्दी के इतिहास में अब भी,

उनकी हिन्दी से अमिट पहचान है।

 

संस्कृत से संस्कृति हमारी,

हिन्दी से हिन्दुस्तान है।

 

बिहारी भूषण पंत निराला का हिन्दी में गान है,

हिन्दी से ही शान है और हिन्दी ही अभिमान है,

तभी तो हिन्दी भाषा में

गाया जाता राष्ट्रगान है।

 

संस्कृत से संस्कृति हमारी,

हिन्दी से हिन्दुस्तान है।

 

हिन्द के घर में कभी पराई न हो हिन्दी,

इसलिए निजभाषा अपनाओ सीखो और सिखाओ हिन्दी।

 

जग में बतलाओ जबको,

हिन्दी से हमारी शान है।

 

संस्कृत से संस्कृति हमारी,

हिन्दी से हिन्दुस्तान है।