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कविता: सुंदर उक्तियाँ (रंजना बरियार, मोराबादी, राँची, झारखंड)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रंजना बरियार की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सुंदर उक्तियाँ":

अहमियत उन्हें  ही  दें,
जिन्हें अहम् न हो....
प्रेम उनसे ही करें,
जिन्हें प्रेम की कद्र हो...
प्रशंसा की चाह उनसे ही रखें,
जिन्हें ईर्ष्या न हो...
विश्वास उनपर ही करें,
जिन्हें खुद पर विश्वास हो...
सत्य तभी तक बोलें,
जब तक सुंदर हों...
बेवजह मुस्कान पे न जाएँ,
प्राय: मुखौटे ही होते हैं....
निर्विवाद रिश्तों पे न जाएँ,
वो निभाई होते हैं...
निंदक से दूरी नहीं बनाएँ,
वो सुधारक होते हैं...
वर्तमान सुंदर बनाएँ ,
तभी भविष्य सुंदर होगा..
धैर्य सदैव बनाए रखें,
तभी कठिन चीजें सरल होंगी...
मन को सदैव नियंत्रित रखें,
वरना ये सबसे बड़ा शत्रु साबित होगा...
जीवन में सबसे कारगर इंसान की तलाश है,
तो आईने  के समक्ष खड़े हो जाएँ...
कार्य शुभारम्भ करें,
आँधी सफलता तभी मिल जाएगी..
संघर्ष से दूरी नहीं बनाएँ,
यही लक्ष्य देती है...
योग्यता और कौशल सफलता के शर्त नहीं,
उनका ससमय सदुपयोग शर्त हैं....
क़िस्मत को कभी दोष न दें,
कर्म की चूक आँकें....
गिरना दोष नहीं है,
गिर कर नहीं उठना दोष है....