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कविता: इंसानियत (दिव्या भागवानी “दिव्य श्वेत”, शिवपुरी, मध्य प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार दिव्या भागवानी दिव्य श्वेत की एक कविता  जिसका शीर्षक है “इंसानियत":

सदा ही तुम सबर करना
शब को तुम सहर करना
साथ दूंगी मैं इंसानियत के नाते
तुम कभी ना फिकर करना
जब लगे यहां कोई अपना नहीं
एक अनाथ पर जां निसार करना
कोई नहीं सजाएगा जीवन तुम्हारा
सुनो तुम खुद से प्यार करना
जब चल रहा हो बुरा वक्त
तुम अच्छे वक्त का इंतजार करना
जब लगे किससे कहूं कुछ
याद मुझे तुम यार करना
कभी ना उठाना गलत कदम
जिंदगी यूं ना बेकार करना
सपने टूटे तो क्या हुआ
नए सपने तुम साकार करना।