पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलू गुप्ता की एक कविता जिसका शीर्षक है “शिक्षा और डिग्री":
शिक्षा और डिग्री
वैसे तो हैं दो शब्द,
पर भ्रमित कर देते हैं कभी - कभी
कहीं एक ही शब्द के पर्याय से लगते हैं
तो कहीं ज़मीन - आसमान का अंतर समेटे से दिखते हैं।
सरल, सभ्य और सुसंस्कृत बनाती है शिक्षा
पर डिग्री का होना कभी हमें अभिमानी,
जीवन को सफल बनाने की पूंजी है शिक्षा
जबकि बस - दाल रोटी कमाने का माध्यम है डिग्री।
फिर भी विडम्बना तो देखिए
होड़ मची है आज डिग्री पाने की,
गम नहीं है अंदर की इंसानियत खोने की।
कभी सोचा है आपने!
क्या सही मायने में
आज हम हो रहे हैं शिक्षित?
जवाब मिलेगा आपको
नहीं, नहीं और सिर्फ नहीं।
क्योंकि आज हमारा सपना है
डॉक्टर और इंजीनियर बनने का
सच्चा और शिक्षित इंसान बनना,
लक्ष्य नहीं किसी का।
डिग्री हम जरुर लें
मैं विरोध नहीं कर रही हूं इसका,
पर याद रहे, यह डिग्री हो
सेवाभाव, नम्रता और जीवन की सरलता।
जागृत होती है इसी से आत्मा
क्योंकि इन गुणों के अभाव में
कागज़ की डिग्री तो बस
है एक कोरा कागज़ और एकमात्र है सपना ।