पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार दिव्या भागवानी “दिव्य श्वेत” की एक कविता जिसका शीर्षक है “केदारनाथ":
तेरा मेरा वो साथ
नगरी हो केदारनाथ।।।
अभी-अभी एक ख्वाब मुस्कुराया
हो हाथों में हाथ..
पढ़ ली अब खामोशी भी
आंखों आंखों में हुई बात ...
कठिन राहों पर भी हम सरल थे
खूबसूरत थे सारे जज्बात...
मुस्कुराए बर्फीले तूफान भी
डर फिर भी ना आया पास . ...
विश्वास था दिल को
साथ है कोई खास...
कह दिया सब मुस्कान ने
लेने न पड़े शब्द उधार ...
समझ गए बिन कुछ कहे
शायद इसे ही कहते हैं प्यार..