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राष्ट्र भाषा हिन्दी के दोहे (शरद नारायण खरे, मंडला, मध्य प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार शरद नारायण खरे के दोहे  जिसका शीर्षक है “राष्ट्र भाषा हिन्दी के दोहे":
 
 
हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियान !
हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शान !!
 
हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्ट !
हिन्दी अपनायें सभी,होकर के आकृष्ट !!
 
कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान !
हिन्दी में है उच्चता,"शरद" सभी लें मान !!
 
हिन्दी का उत्थान हो,हिन्दी का सम्मान !
हिन्दी पर अभिमान हो,हिन्दी का गुणगान !!
 
हिन्दी तो समृध्द है,हिन्दी है सम्पन्न !
हिन्दी माने हीन जो,वह नर सदा विपन्न !!
 
हिन्दी में सामर्थ्य है,हिन्दी में है तेज !
हिन्दी तो सचमुच सरल,क्षमता से लबरेज !!
 
हिन्दी में अध्यात्म है,हरसाता है धर्म !
लेखक,कवि जो कह रहे,समझे हर इक मर्म !!
 
हिन्दी है भाषा बड़ी,संस्कार की धूप !
हिन्दी है हितकर सदा,दास होय या भूप !!
 
भाषा हिन्दी राष्ट्र की,लिये राष्ट्र हित भाव !
हिन्दी भाषी नित रखें,निज भाषा का ताव !!
 
संस्कार पोषित करे,अनुशासन-उद्घोष !
हिन्दी हमको दे रही,सच्चाई का होश !!                           

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