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कविता: हिंदी (सुशील सरित, आगरा, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुशील सरित की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी:

हिंदी हिंदी की भाषा
हिंदी हम सब की पहचान ।
उजियाला नैनो का हिंदी
होठों की मुस्कान ।
 
पंत ,निराला और महादेवी हरिऔध ,बिहारी ,
भारतेंदु, जगनिक ,भूषण सबने है नजर उतारी ।
तुलसी के मानस ने बांटा हम सबको है ज्ञान ।
बल्लभ, रामानंद का दर्शन ,खुसरो की है तान ।
हिंदी हिंदी की भाषा
हिंदी हम सब की पहचान ।
उजियाला नैनो का हिंदी
होठों की मुस्कान।
 
लक्ष्मणसिंह ,चंद्रवरदाई ,दिनकर, दादू ,मीरा ।
रत्नाकर, रसखान, चंद्रधर, केशव सूर ,कबीरा
सुर रहीम के और जायसी के हैं तेरा मान ।
रस रंगों की गागर सब
छंदों की छवि के खान ।
हिंदी हिंद की भाषा
हिंदी हम सब की पहचान।
उजियाला नैनो का हिंदी
होठों की मुस्कान ।
 
है विज्ञान समर्थित हिंदी स्वाभाविक उच्चारण
और व्याकरण इसका कर दे
हर संदेह निवारण ।
है साहित्य जगत के हित में संस्कृत का वरदान ।
मंत्र एकता का हिंदी है
जन गण मन का गान।
हिंदी हिंदी की भाषा
हिंदी हम सब की पहचान ।
उजियाला नैनो का हिंदी
होटों की मुस्कान।

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