पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार कमला पांडेय की एक कविता जिसका
शीर्षक है “क्यों? हेय दृष्टि से देखी जाती”:
मातृभाषा हिंदी हमारी
हैं संस्कारों की जननी
सींचती व्यवहार,विचार
अंतर्मन बीच हमारे
सुनाती गौरव गान
कहलाती भाषा जनमानस की
कराती रूबरू हमें इतिहास से
है वो संस्कृति की विरासत
और मूल्यों की प्रतिबिंब भी
सबसे ज्यादा बोली जाती
रखती देश को एकजुट
फैलाती सद्भावना, भाईचारा
मिटाती द्वेष,इर्ष्या,व्यभिचारा
अनेकता में एकता को समृद्ध करती
देश के हर कोने में बोली जाती
भारतभूमि की महत्ता दर्शाती
फिर क्यों?? अपने ही देश में
परायेपन का दंश वो झेलती
क्यों?? हेय दृष्टि से देखी जाती।
मातृभाषा हिंदी हमारी
हैं संस्कारों की जननी
सींचती व्यवहार,विचार
अंतर्मन बीच हमारे
सुनाती गौरव गान
कहलाती भाषा जनमानस की
कराती रूबरू हमें इतिहास से
है वो संस्कृति की विरासत
और मूल्यों की प्रतिबिंब भी
सबसे ज्यादा बोली जाती
रखती देश को एकजुट
फैलाती सद्भावना, भाईचारा
मिटाती द्वेष,इर्ष्या,व्यभिचारा
अनेकता में एकता को समृद्ध करती
देश के हर कोने में बोली जाती
भारतभूमि की महत्ता दर्शाती
फिर क्यों?? अपने ही देश में
परायेपन का दंश वो झेलती
क्यों?? हेय दृष्टि से देखी जाती।