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कविता: हिंदी हमारी पहचान है (राजीव रंजन, गया, बिहार)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राजीव रंजन  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी हमारी पहचान है”:
 
हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी हमारी पहचान है,
हिंद के निवासी हम,हिंदी हमारी जान है ।
हिंदी है जन-जन की भाषा,
हिंदी की है सरल परिभाषा,
हिंदी भाव प्रधान है।
हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी हमारी पहचान है।
आजादी के संघर्षों में हिंदी ने हमें एक किया,
मिलकर लड़ो गुलामी से हिंदी ने संदेश दिया ।
हिंदी देश की राजभाषा है हिंदी देश की शान है,
हिंद के निवासी हम,हिंदी हमारी जान है ।
अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को इसने अपनाया है,
किसी से ईर्ष्या-द्वेष नहीं,सबको गले लगाया है।
हिंदी बोलना हिंदी लिखना बिल्कुल आसान है,
हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी हमारी पहचान है।
कोई बनी आधुनिक मीरा कोई कलम का जादूगर,
कोई कलम का सिपाही तो कोई राष्ट्रकवि दिनकर।
हिंदी की सेवा का फल है,सब इसकी संतान है,
हिंद के निवासी हम,हिंदी हमारी जान है ।
हिंदी में काम-काज हो कहता संविधान है,
हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी हमारी पहचान है।
 
जय हिंद, जय हिंदी