पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ अवधेश कुमार 'अवध' की एक कविता जिसका शीर्षक है “हिंदी का गुणगान करें":
हिंदी ने सब कुछ सिखलाया, हिंदी का गुणगान करें।
जिसने जना चंद जगनिक कवि, उसका हम सम्मान करें।
खुसरो की 'कह मुकरी' जिसकी गोदी में मुस्काती हो -
ऐसी पावन भाषा से नित, नूतन नवल विहान करें।
हिंदी का गुणगान करें ............।।
सागर सूर साख्य केशव सँग, राधारानी पीर रचे।
रामचरित मानस तुलसी कृत, पुरुषोत्तम की मर्यादा -
रामचन्द्रिका में केशव के, अलंकार का भान करें।
हिंदी का गुणगान करें............।।
वीर भक्ति वात्सल्य रीतिरत, धन्य सतसई नेह लगे।
इंसाअल्ला श्रीनिवास अरु भारतेन्दु की कविताई -
प्रियप्रवास हरिऔध रचित का आओ फिर से ध्यान करें।
हिंदी का गुणगान करें............।।
हिंदी माता की संताने, कभी नहीं होना रे सुप्त।
एक सूत्र में बँधकर भारत, हिंदी का पर्याय हुआ -
अरुणाचल कश्मीर केरला, तमिलनाडु जयगान करें।
हिंदी का गुणगान करें.............।।
अपनों और परायों से पाये ज़ख़्मों को खोल उठी।
उपभाषा औ बोली के सँग, पुन: आज इठलाती यूँ -
हिंदी माथे की बिन्दी हिय से हिंदी का मान करें।
हिंदी का गुणगान करें ............।।


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