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कविता: शिक्षक (कल्पना गुप्ता "रतन", जम्मू एंड कश्मीर)

 


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार कल्पना गुप्ता "रतन" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “शिक्षक ":
 
शिक्षक की चमक से चमकता इंसान है
इंसान की चमक से चमकता जहान है।
 
शिक्षक तो कोहिनूर है, जन्नत का द्वार
होता नहीं आदरणीय शिक्षक से दूर है।
 
शिक्षक के पास होता इल्म है ज्ञान है
शिक्षक के दम से फलता विज्ञान है।
 
शिक्षक सिखाता है कैसे निभाए नियम
संसार में कैसे, रख पाएंगे सब संयम।
 
शिक्षक सबको नए-नए सपने दिखाता है
सपनों को पूरा करने का हुनर सिखाता है।
 
अरे प्यारे बच्चों, अबे ओ मन के सच्चो
शिक्षक ही तुम्हारा आधार है
शिक्षक से ही सारा संसार है
वह ज्ञान का भंडार है
प्यार और इंसानियत की
अटल ऊंची आदर्शवादी दीवार है
होता उसका समाज में
आदर सत्कार है।
 
शिक्षक बांटता ज्ञान है
करता जग का कल्याण है।