कहते हैं, शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है, जो स्वयं जलकर दूसरों को रोशनी देते हैं। ये
हमारे समाज के वे आधार स्तंभ हैं, जो आने वाली पीढ़ी को नयी दिशा देकर राष्ट्र के
निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा जाते हैं। बच्चों का भविष्य संवारना ही
शिक्षक का पहला कर्त्तव्य होता है। अपनी जिम्मेदारियों को वे बखूबी निभाते हैं।
समय के साथ - साथ नई नई चुनौतियों को स्वीकार करते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण
लॉकडाउन में दी जाने वाली ऑनलाइन शिक्षा को हम मान सकते हैं। परिस्थिति चाहे कैसी
भी हो, इनका उत्साह कभी क्षीण नहीं
होता। इनका जीवन छात्रों के लिए प्रेरणस्रोत है । शिक्षक ज्ञान का अक्षय भंडार
होता है, जो हर मोड़ पर
विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर रहता है । इसलिए हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षकों के इस
योगदान और उनके कार्यों को सम्मान देने हेतु शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन
हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिन है, जो स्वयं भी पेशे से शिक्षक
थे, अध्यापन से उन्हें बहुत
लगाव था। उनके जन्मदिवस को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वैसे तो शिक्षकों के योगदान
को सराहने और उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं
और न ही एक दिन उन्हें याद करने के लिए काफी है । फिर भी हमारी व्यस्त जीवन-शैली
में से कम से कम एक दिन इनके नाम अवश्य होना चाहिए। इसलिए लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस ने
सितंबर माह की तृतीय ई-पत्रिका को विशेष रूप से शिक्षकों को समर्पित किया है।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी
जिले के लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी ई-पत्रिका
डिजिटल फॉर्मेट में एक बार फिर आप सभी के सामने है। आपको यह सूचित करते हुए हमें
अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है कि इस हिन्दी ई-पत्रिका के सितंबर अंक में
"गुरु/शिक्षक/शिक्षा" विषय पर देशभर के 72 रचनाकारों की कविताएं शामिल
हैं। इन रचनाकारों का हार्दिक आभार। हम आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते
हैं।
यदि इस हिन्दी ई-पत्रिका
में किसी भी तरह की त्रुटि रह गई हो तो इसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं। आप सभी का
सहयोग भविष्य में भी बना रहें, ऐसी ही आकांक्षा है। आशा है आप सभी इस हिन्दी
ई-पत्रिका को एक नए मुकाम तक पहुंचाने में हमारी मदद अवश्य करेंगे। तो आइए हम सभी
मिलकर एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी भूमिका अवश्य निभाए।
धन्यवाद।
संजय अग्रवाला
संस्थापक एवं संपादक
नीलू गुप्ता
सह संपादक
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