पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मंजूषा श्रीवास्तव "मृदुल" की एक कविता जिसका शीर्षक है “आदमी”:
ऐश के सामान करता जा रहा है आदमी
ज़िंदगी दोज़ख बनाता जा रहा है आदमी
हर नई तकनीक को अपना रहा है आदमी
बद गुमा बे मौत मरता जा रहा है आदमी |
नफरतो के शज़र की छाया तले है पल रहा
अब गुनाहों की डगर पर जा रहा है आदमी |
प्यार करने की रवायत को भुलाता जा रहा
नफ़रतो के साथ सिकता जा रहा है आदमी |
रोज़ लड़ता रोज़ घुटता और मिटता आदमी
ज़िंदगी से दूर होता जा रहा है आदमी |
मन 'मृदुल' है ग़मज़दा बस दर ब दर भटका किया ,
रेत को दरिया समझता जा रहा है आदमी |