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कविता: तेरी ही दी खुशियां आती दुगनी वापिस होकर [सुरेश कुमार कपूर (एस● के● कपूर "श्री हंस"), स्टेडियम रोड, बरेली, उत्तर प्रदेश]

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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ख़ुशियाँ   हर मोड़  पर कि,
जब चाहो मौज मिलती है।
बात नहीं ये एक दिन   की,
ढूंढो तो हर रोज़ मिलती है।।
खुशी बसती नहीं कहीं दूर,
बहुत   ऊपर आसमान  में।
तेरे भीतर ही बसेरा इनका,
वहीं पर   खोज मिलती है।।
 
बहुत आसान इन  खुशियों,
से रोज़ ही मुलाकात करना।
बांटते रहो और   फिर इन्हें,
अपनों में हीआबाद करना।।
यही छोटी छोटी    खुशियां,
लौटकर आती बड़ी होकर।
फिर इन खुशियों का  तुझे,
ही है  उपहार प्राप्त करना।।
 
मत ढूंढता रह  हमेशा  धन,
दौलत में इन  सौगातों  को।
निकाल कर लेआ हर बात,
में खुशी की अफरातों  को।।
तेरी ही खुशी  जान ले  कि,
दुगनी होकर आती वापिस।
बस अहसास कर  महसूस,
तो कर इन मुस्कराहटों को।।