पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार रविकान्त सनाढ्य की एक कविता जिसका शीर्षक है “आओ, हम सद्भावना के मोती लुटाएँ !”:
सद्भावना
एक अमूल्य शब्द !
आह्लादकारी
और आत्मीय !
ऊँचाई को
बढ़ाने वाला !
लुटा सकते हैं
आप !
फिर क॔जूसी
क्यों !
भी नहीं लगते
इसके।
उदात्ता का
प्रसार !
सोच -विचार !
किसी को
जानो , न जानो,
सद्भावना और
प्यार !
तुम्हारे जीवन में
बहार !
मानवता को
प्रभु-प्रदत्त
प्रसाद है !
किसी का भी
अवसाद है ।
शाद ही शाद है ।
शुभ भावों की
बरसात है !
जीवन के लिए
शुभ प्रात है !
सद्भावना के
मोती लुटाएँ
इसधरा को
स्वर्ग बनाएँ !