पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुरेश खवास की एक कविता “आह्वान (नेपाली भाषा)” जिसका हिन्दी अनुवाद किया है रचनाकार सबनम भुजेल ने:
जीवन के संघर्षमय यात्राओं में
दुःखों से सामना होने पर
तुम हताश व निराश मत होना
यदि तुममें और मुझमें कोई वस्तु का
अभाव न हुआ होता तो
यहाँ क्रांति की आवश्यकता नहीं पड़ती
यहाँ संघर्ष की जिज्ञासा पैदा नहीं होती
लेकिन
यहाँ एक मुट्ठी चावल और कपास के लिए
बच्चों को सुंदर भविष्य प्रदान करने हेतु
यहाँ क्रांति की आवश्यकता है।
ऐ
भूखे, नंगे, शोषित, पीड़ित
श्रमजीवी जनता
तुम्हारी मुक्ति, तुम्हारे लाल रक्त ही देगी,
इसलिए आओ
एक शोषणविहीन समाज के निर्माण हेतु
चाय बगान के अभावग्रस्त जीवन से
मुक्ति के लिए
एकता के सूत्र में बँधकर
क्रांति का बिगुल फूंके।
आह्वान
साथी,
जीवनको संघर्षमय यात्राहरुमा
दुःखहरुको सामना गर्नु पर्दा,
तिमी हतास र उदास न हौ।
यदि तिमी र म मा कुनै वस्तुको
अभाव न भएको भए,
यहाँ क्रांतिको खाँचो थिएन,
यहाँ संघर्षको चासो थिएन।
तर,
यहाँ एक मुट्ठी गाँस र कपासको निम्ति,
बालकलाई सुन्दर भविष्य प्रदानको निम्ति,
यहाँ क्रांतिको खाँचो छ।
ए,
भोका नाङ्गा शोषित पिड़ित,
श्रमजीवी जनताहरु हो,
तिम्रो मुक्ति,तिम्रै रातो रगतले दिनेछ।
त्यसैले आऊ,
एवटा शोषण विहीन समाजको निर्माणको निम्ति,
चियाबारीको अभावग्रस्त जिन्दगीबाट
मुक्तिको निम्ति,
एकताको सूत्रमा लामवद्ध भएर,
क्रांतिको विगुल फुकौं।