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कविता: रिश्तों के अद्भुत समीकरण (अर्चना राय "खुराफ़ाती", मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अर्चना राय "खुराफ़ाती" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “रिश्तों के अद्भुत समीकरण”:

रिश्तों के अद्भुत समीकरण

अक्सर बनते-बिगड़ते रहते हैं।

सब अपनी बुद्धि व संवेदनानुसार

इन्हें हल करते रहते हैं।

 

परस्पर स्नेह, विश्वास व सामंजस्य से बने

(a + b)^2 परिवार की खुशियाँ

बढ़कर a^2 + b^2 + 2ab हो जाती हैं।

बुरी बलाएँ चारों खाने चित्त हो जाती,

बरकतों की रफ्तार बढ़ती जाती है।

 

दूसरी तरफ

ईर्ष्या, अहंकार व स्वार्थ की आग में झुलसते

(a^2 - b^2) परिवार की खुशियाँ

परिणामस्वरुप (a+b)(a-b) की भाँति

टूटकर बिखर जाती हैं। 

बीतते समय के साथ लोग खेमे में बंटते जाते हैं,

अशांति व क्लेश घर में घुसपैठ करते जाते हैं।

 

इसलिये,

रिश्तों की फेहरिश्त में कभी

स्वार्थ व धन को ना बनायें पैमाने।

स्नेह व नि:स्वार्थता से एक-दूजे का हाथ थामें।

ये माना कि,

रिश्तों के बीजगणित की पैदावार

व गुणवत्ता बदलती रहती है।

पर दो लोगों में से अगर एक भी

अभिमान की तिलांजलि देना सीख जाए,

तो निरंतर खुशियों की उर्वरता बढ़ती जाती है।

निराशा की बर्बरता खुद में ही सिमटती जाती है।

और यूं आसानी से हल हो जाते हैं

रिश्तों के अद्भुत समीकरण ।